" है " का संग ही वास्तविक सत्संग है "करने" मे सावधन "होने" मे प्रसन्न रहने पर " है " की प्रीति स्वत: प्राप्त होती है। तभी नव जिवन की सफ़लता पुर्ण होती है। यही वास्तविक " जीवन " है, जो सभी मानव की मांग है।---इस ब्लाँग पर जो भी सामाग्री है वह संतो, महात्माओ एवं गुरुओ के द्वारा प्राप्त प्रसाद है, ग्रहण करे॥
रविवार, 20 सितंबर 2009
शुभकमनाये
प्रिय मित्रो आप सब को नवरत्रि और विजय दसमी की शुभकामनाये
आपको भी विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंlage raho dubey bhaai.
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